Govind Guru SmritiUdayan, Mangarhdhaam, Banswara

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परियोजना का नाम: गोविन्द गुरु स्मृति उद्यान मानगढ़धाम, बांसवाड़ा

भौतिक प्रगति: निर्माण कार्य पूर्ण किया जाकर आमजन के अवलोकनार्थ चालू है।

 

गोविन्द गुरु की जीवन का संक्षिप्त परिचय

नाम:- गोविन्द गिर।

जन्म:- गोविन्द गिर का जन्म 20 दिसम्बर, 1858 ई. में बंजारा परिवार में हुआ।

जन्म स्थान:- राजस्थान के डूंगरपुर जिले के बांसिया (बेड़सा) गांव में हुआ।

विवाह:- गोविन्द गिर की प्रथम पत्नी व दो बच्चों की मृत्यु 1899-1900 के दुर्भिक्ष अकाल में हो गयी थी, इसके पश्चात् उन्होंने अपने बड़े भाई की विधवा पत्नी से विवाह कर गृहस्थ साधू के रूप में रहते हुए भीलों में जन-सुधार का कार्य किया। 

निर्वाण:- गोविन्द गिर का निर्वाण 30 अक्टूबर, 1931 में हुआ। 

निर्वाण स्थल:- मानगढ़ नरसंहार के बाद गोविन्द गिर को मृत्युदण्ड की सजा हुई, जिसे बाद में आजीवन कारावास में बदल दिया गया। गोविन्द गिर का निर्वाण गुजरात के कंबोई गांव में हुआ।

वंषज:- गोविन्द गिर का जन्म एक बंजारा परिवार में हुआ था, परन्तु उनका लालन-पालन सात्विक वातावरण में हुआ था। वे स्नान व ध्यान किये बिना भोजन नहीं करते थे। उस घर में नही जाते थे जहां मांस-मदिरा का प्रयोग होता था। गले में रुद्राक्ष पहनते थे तथा सदाचार के साथ जीवन व्यतीत करते थे।

चारित्रिक विषेषताएं:- गोविन्द गिर ने बूंदी के दषनामी अखाड़ा (पंथ) में दीक्षा लेने के बाद भी उन्होंने एक गृहस्थी साधू का जीवन व्यतीत किया। वे स्वामी दयानन्द सरस्वती व कबीर के विचारों से प्रभावित थे। गोविन्द गिर ने आदिवासियों में फैली बुराईयों को दूर करने एवं चेतना पैदा करने हेतु संप सभा का गठन किया, जिसके कारण आदिवासियों में नषामुक्ति, शराब, तम्बाकू को निषेध माना जाने लगा।