Sugali Mata Statue and Tample, Auwa, Pali

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परियोजना का नाम: सुगाली माता की हुबहू प्रतिमा स्थापना, आउवा 

(बजट घोषणा 2014-15 पेरा संख्या 367.0.0)

वित्तीय स्वीकृति: 70.00 लाख रूपये

भौतिक प्रगति: सुगाली माता की मूर्ति निर्माण एवं मंदिर निर्माण का कार्य पूर्ण हो चुका है। लोकार्पण दिनांक 30-08-2018 को किया जाकर आमजन के दर्शनार्थ चालू है|

 

सुगाली माता की मूर्ति का विवरण

राजस्थान के जर्रे-जर्रे में एक अमर वीरता, शौर्यता के साथ अपना इतिहास छिपा हुआ है। राजपूताना के शासको के शौर्य की अमर गाथा किसी से छिपी नही है। यहां के हर एक शासक ने अपनी वीरता से दिल्ली के मुस्लिम शासको के दांत खट्टे कर दिए थे। इसी गौरवमयी इतिहास के दौर में जब देषी रियासतों पर अंग्रेजों का कब्ज़ा हो चुका था। उस ज़माने में राजपूताने की एक कुल देवी ऐसी भी थी जिनसे दुनिया में कभी भी सूरज नही डूबने वाले फिरंगी भी खौफ खाते थे।  सन् 1857 के स्वाधीनता संग्राम में सुगाली माता स्वतंत्रता सेनानियों की प्रेरणास्त्रोत भी रही है। सन् 1857 के सैनिक विद्रोह की चिंगारी सबसे पहले 28 मई को राजस्थान की नसीराबाद छावनी में सुलगी और यही से यह पूरे राजपूताना में एक भयंकर आग के रूप में फैली। 1857 के स्वाधीनता संग्राम के दौरान राजस्थान में क्रांति का आउवा एक प्रमुख केन्द्र रहा था। जो आज भी राजस्थान में लोकगीतों के रूप में सुनाई देता है।ढोल बाजे चंग बाजै, भलो बाजे बांकियो।एजेंट को मार कर, दरवाजा पर टांकियो।झूझे आहूवो ये झूझो आहूवो, मुल्कां में ठांवों दिया आहूवो। आउवा तत्कालीन समय में मारवाड़ रियासत का एक ठिकाना था। उस समय आउवा के ठिकानेदार ठाकुर कुषाल सिंह चांपावत थे। राजस्थान में आउवा ठाकुर कुषाल सिंह ने अपनी अनुपम वीरता से अंग्रेजों का मान मर्दन करते हुए क्रांति के इस महायज्ञ में अपनी आहुति दी। पाली जिले का एक छोटा सा ठिकाना था आउवा, लेकिन ठाकुर कुषाल सिंह की राष्ट्रभक्ति ने सन् सत्तावन में आउवा को स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण केन्द्र बना दिया था। इन्होंने अंग्रेजों को चेलावास के युद्ध में बुरी तरह से हराया था। इतना ही नही आउवा के किले पर मारवाड़ के पोलिटिकल एजेंट मॉक मेसन का सिर काट कर लटका दिया था। इस युद्ध के बाद अंग्रेज आउवा और किले में स्थापित माता की मूर्ति से भय खाने लगे थे। उसके बाद ब्रिटिष सरकार द्वारा की गई बदले की कार्रवाई में एक साथ 24 लोगों को मृत्युदंड दिया गया। यही मारवाड़ के आउवा ठिकाने के किले में एक सुगाली माता की दुर्लभ मूर्ति प्रतिष्ठापित थी। सुगाली माता आउवा की कुलदेवी रही है। आउवा की कुलदेवी और आराध्या इस देवी की समूचे मारवाड़ में बहुत मान्यता रही है। काले पत्थर से निर्मित यह देवी प्रतिमा सन् 1857 के स्वाधीनता संग्राम में स्वतंत्रता सेनानियों की प्रेरणास्त्रोत भी रही थी। सुगाली माता को 1857 की क्रांति की देवी भी कहा जाता है। बताया जाता है कि स्वतंत्रता सेनानी अपनी गतिविधियां इस देवी के दर्षन कर प्रारम्भ करते थे।  स्वतंत्रता सेनानियों का दमन कर आउवा के किले पर अधिकार करते ही अंग्रेजों ने महाविकराल मां शक्ति की इस प्रतिमा को आउवा के किले से हटा दिया। अंग्रेजों को यह भय था कि देवी की इस मूर्ति (सुगाली माता) में विष्वास कर वहां के आंदोलनकारियों में विद्रोही की भावना जागृत होती है। अंग्रेज इस मूर्ति को पहले माउंट आबू ले गये और वहां से सन् 1908 में अजमेर में राजपूताना म्यूजियम खुलने पर देवी की यह मूर्ति अजमेर म्यूजियम में स्थापित कर दी गयी। जिसे आजादी के बाद पाली म्यूजियम में रखा गया। सुगाली माता की यह मूर्ति काली (शक्ति) का कोई तांत्रिक स्वरूप है। देवी राक्षस के ऊपर क्रोधित मुद्रा में खड़ी है और राक्षस धरती पर अधोमुख (औंधा) पड़ा है। देवी राक्षस पर नृत्य की अवस्था में है। देवी के 10 सिर और 54 हाथ है। एक मुख मानव का है तथा अन्य मुंह विभिन्न पशुओं के है। देवी के सभी हाथों में विभिन्न प्रकार के आयुध है। गले में मुण्डमाला सुषोभित है जो घुटनों तक नीचे लटकी हुई है। मूर्ति की ऊँचाई 3 फुट 8 इन्च के लगभग है। देवी प्रतिमा की चौड़ाई 2 फुट 5 इन्च है। मूल मूर्ति के मंदिर से विस्थापन के बाद राज्य सरकार के प्रयासों से राजस्थान धरोहर संरक्षण एवं प्रोन्नति प्राधिकरण, जयपुर द्वारा सुगाली माता की हुबहू नवीन मूर्ति की स्थापना शीघ्र की जावेगी।

सुगाली माता: दक्षिण हस्त के अस्त्र-षस्त्र-आभरण

1. रत्नमाला 

2. कर्तरी (कैंची)

3. असि (तलवार)

4. तर्जनी मुद्रा

5. अंकुष

6. दण्ड 

7. रत्न कुंभ

8. त्रिषूल

9. पंच पाषुपत वाण (षोषक, उन्मादक, मूर्छाकर, संहारक एवं मृत्युकर नामवाले)

10. कुन्त (भाला)

11. पारिजात (एक स्वर्गीय वृक्ष)

12. क्षुरिका (छुरा)

13. तोमर (लोह दण्ड/भाला)

14. पुष्पमाला

15. डिण्डिम (एक छोटा ढोल)

16. गृघ्र (गीध)

17. कमण्डलु

18. मांसखण्ड

19. सु्रवा (यज्ञ का चम्मच)

20. बीजपूर (जँभीरी नींबू)

21. स्रुच् (सुई )

22. परषु

23. गदा 

24. यष्टि (लकड़ी/लाठी)

25. मुष्टि (बंधी हुई मुट्ठी)

26. कुणप (षव)

27. लालन

 

 

 

 

सुगाली माता: वाम हस्त के अस्त्र-षस्त्र-आभरण

1. रत्नमाला (जयमाला)

2. कपाल

3. चर्म (ढाल)

4. पाष

5. शक्ति

6. खट्वांग (खाट का पाया)

7. मुण्ड 

8. भुषुण्डी (एक प्रकार का भयानक शस्त्र)

9. धनुष

10. चक्र 

11. घण्टा

12. बालप्रेत

13. शैल (पाषाण)

14. नरकंकाल

15. नकुल (नेवला)

16. सर्प

17. उन्मादवंषिका (बांसुरी)

18. मुद्गर

19. अग्निकुण्ड

20. डमरू

21. परिध

22. भिन्दिपाल (हाथ से फेंका जाने वाला छोटा भाला/गुलेल जैसा   यन्त्र)

23. मूसल

24. पट्टिष (तेज धार वाल लोहे की बर्छी)

25. पाष

26. शतघ्नी (एक प्रकार की विषाल षिला जिसमें लोहे की शलाकाएं                      लगी हुई हों)

27. शिवापोत (गीदड़ का बच्चा)

े स्वतंत्रता संग्राम पेनोरमा के साथ लगायी जावेगी।