संविधान

राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर

 

संविधान

1. नाम:- इस संस्था का नाम राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी होगा।

2. प्रास्थिति:- अकादमी एक स्वशासी निकाय है और यह राजस्थान राज्य में राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति की उन्नति के लिए कार्य करेगी। यह एक नियमित निकाय होगी और उसका शाश्वत उत्तराधिकारी और सामान्य मुद्रा होगी। उसके सम्पत्ति अर्जन और धारण करने की और निगमित निकाय के नाम से बाद लाने की शक्ति होगी, ओर उस पर इस नाम से वाद लाया जा सकेगा।

3. मुख्यालय:- राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी का मुख्यालय बीकानेर में होगा।

4. उद्देश्य:- ंण् राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति के उन्नयन, संवर्द्धन एवं संरक्षण के लिए प्रयत्न करना।इण् राजस्थानी भाषा के साहित्यकारों और विद्वानों में पारस्परिक सहयोग की अभिवृद्धि के लिए प्रयत्न करना।बण् संस्थाओं और व्यक्तियों को भाषा, साहित्य एवं संस्कृति से संबंधित उच्च स्तरीय ग्रंथो, पत्र-पत्रिकाओं, कोश, विश्वकोश, आधारभूत शब्दावली, ग्रंथ निर्देशिका, सर्वेक्षण व सूचीकरण आदि के सृजन व प्रकाशन में सहायता देना तथा स्वयं भी उनके प्रकाशन की व्यवस्था करना तथा तत्संबंधी कार्य सम्पन्न करना।कण् विश्व भाषाओं के उत्कृष्ट का राजस्थानी भाषा में तथा राजस्थानी के उत्कृष्ट साहित्य का विश्वभाषाओं में अनुवाद करना तथा ऐसे अनुवाद कार्यों को प्रोत्साहित करना।मण् साहित्यिक सम्मेलन, विचार संगोष्ठियां, परिसंवाद, सृजनतीर्थ रचनापाठ, रचना शिविर, प्रदर्शनियां, अन्तः प्रादेशिक साहित्यकार बंधुत्व यात्राएं, भाषणमाला एवं साहित्य, भाषा और संस्कृति के प्रचार-प्रसार की अन्य योजनाएं आदि की व्यवस्था करना तथा तद्निमित्त आर्थिक सहयोग देना।ण् िराजस्थानी भाषा, साहित्य के साहित्यकारों को उनकी उत्कृष्ट रचनाओं के लिए पुरस्कृत करना एवं श्रेष्ठ साहित्यकारों को उनकी साहित्यिक सेवाओं के लिए सम्मानित करना।हण् सृजन, अनुवाद, साहित्यिक शोध व आलोचनात्मक अध्ययन संबंधी प्रोजेक्ट, भाषा वैज्ञानिक एवं साहित्यिक सर्वेक्षण, लोक साहित्य संग्रह तथा अन्य ऐसे ही प्रोजेक्ट के लिए संस्थाओं तथा व्यक्तियों को वित्तीय सहयोग देना तथा स्वयं भी ऐसी योजनाओं को निष्पादित करना।ीण् राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति के क्षेत्र में कार्यरत साहित्यकारों को वित्तीय सहायता, शोधवृत्तियां आदि देना।पण् अनुसंधान शाखा सहित अकादमी-पुस्तकालय तथा अध्ययन केन्द्र स्थापित करना और इस प्रवृति के विकास के लिए वित्तीय सहयोग देना।रण् जनता, व्यक्तियों, निगमों और संस्थाओं से वस्तु और मुद्रा के रुप में आर्थिक सहयोग प्राप्त करना तथा सरकारी या अर्द्ध सरकारी निकायों से अनुदान एवं अन्य सहयोग प्राप्त करना।ाण् किसी भी प्रकार की संपत्ति क्रय और धारण करना तथा अकादमी के उद्देश्यों को आगे बढ़ाने में उन्हें संधारित करना, परन्तु दस हजार से अधिक मूल्य की स्थावर संपत्ति के किसी भी संव्यवहार की दशा में सरकार की पूर्व मंजूरी आवश्यक होगी।सण् ऐसे अन्य कार्य करना जो अकादमी उद्देश्यों को आगे बढ़ाने के लिए आवश्यक समझे जावें, चाहे वह उपर्युक्त शक्तियों से आनुषंगिक हो या न हो।5. अकादमी पदाधिकारी(क) अध्यक्ष (ख) उपाध्यक्ष (ग) कोषाध्यक्ष (घ) सचिव

6. अध्यक्ष:ंण् अकादमी अध्यक्ष की नियुक्ति राज्य सरकार द्वारा की जायेगी और उसका कार्यकाल नियुक्ति की तिथि से तीन वर्ष होगा।इण् अध्यक्ष की शक्तियां और कृत्य-अध्यक्ष, अकादमी का प्रधान होगा और वह सामान्य सभा एवं कार्यसमिति की बैठकों में अध्यक्षता करेगा। वह अकादमी के समुचित कार्यकरण के लिए उत्तरदायी होगा और उसका सम्पूर्ण प्रभारी होगा। वह ऐसे अधिकारों का भी उपयोग करेगा जो सामान्य सभा या कार्यसमिति द्वारा प्रदत्त हों।बण् अकादमी का उपाध्यक्ष सामान्य सभा द्वारा अपने सदस्यों में से नियुक्त किया जावेगा और उसका कार्यकाल 3 वर्ष का होगा।

7. कोषाध्यक्ष:ंण् कोषाध्यक्ष, सामान्य सभा द्वारा नियुक्त किया जावेगा और इसका कार्यकाल तीन वर्ष का होगा। सामान्य सभा का सदस्य न होने की दशा में भी वह कोषाध्यक्ष का पद धारण करने के कारण सामान्य सभा और कार्यसमिति का पदेन सदस्य हो जावेगा परन्तु कोषाध्यक्ष का स्थान किसी भी कारण से रिक्त होने की दशा में कार्यसमिति शेष अवधि के लिए किसी भी व्यक्ति को कोषाध्यक्ष नियुक्त कर सकेगी, जिसकी स्वीकृति सामान्य सभा की आगामी बैठक में ली जावेगी। सामान्य सभा या कार्यसमिति की किसी कारण से बैठक न होने की स्थिति हो, तो अकादमी के हित में अध्यक्ष अन्तरिक काल के लिए कोषाध्यक्ष नियुक्त कर सकेगा, जिसकी पुष्टि कार्यसमिति एवं सामान्य सभा की आगामी बैठक में प्राप्त की जावेगी। परन्तु कोई भी व्यक्ति, जिसे किसी सरकारी या अर्द्ध सरकारी विभाग, संस्था या व्यावसायिक प्रतिष्ठान में कम से कम 5 साल का लेखा संबंधी कार्य का अनुभव नहीं हो अथवा चार्टर्ड एकाउण्टेंट या अन्य इसी प्रकार की मान्य विशिष्ट योग्यता नहीं रखता हो, कोषाध्यक्ष के रूप में नियुक्त नहीं किया जावेगा।इण् शक्तियां और दायित्व:पण् अकादमी की कार्यसमिति के नियंत्रण के अधीन रहते हुए अकादमी की संपत्ति और विनियोजनों का प्रबंध करना।पपण् लेखाओं के वार्षिक विवरण तैयार करायेगा और कार्य समिति व सामान्य सभा के समक्ष प्रस्तुत करने के लिए उत्तरदायी होगा।पपपण् कार्यसमिति की शक्तियों के अधीन रहते हुए ऐसी धनराशियों के, उन प्रयोजनों के लिए समुचित उपयोग के लिए उत्तरदायी होगा, जिन प्रयोजनों के लिए वे दी गई हों या आवंटित की गई हों, औरपअण् ऐसी अन्य शक्तियों का प्रयोग और ऐसे कार्य करना जो उसे कार्यसमिति द्वारा सुपुर्द किये जावें।

8. सचिव:ंण् सचिव, अकादमी का प्रधान कार्यकारी अधिकारी होगा, जिसकी नियुक्ति राज्य सरकार द्वारा की जावेगी।इण् शक्तियां और दायित्वपण् सामान्य सभा, कार्यसमिति और समस्त अन्य स्थाई एवं अस्थाई समितियों का, जो सामान्य सभा अथवा कार्यसमिति द्वारा गठिक की जावेंगी, पदेन सचिव रहते हुए उस पद के लिए तद्विषयक आवश्यक सभी कार्य करना।पपण् कार्य समिति के निर्देशन के अधीन रहते हुए अकादमी के अभिलेख और ऐसी अन्य सम्पत्ति की सुरक्षा के लिए उत्तरदायी होना। पपपण् अकादमी और उसकी विभिन्न प्राधिकृतियों या नीतियों के अधीन अकादमी के कार्यक्रमों, प्रवृत्तियों और योजनाओं को संचालित और क्रियान्वित करना, करवाना।पअण् कर्मचारियों के कार्य निर्धारित करना, उन पर प्रशासनिक नियंत्रण रखना और उन्हें मार्गदर्शन देना।अण् ऐसे प्रशासनिक एवं वित्तीय अधिकारों का उपयोग करना, जो कार्यसमिति द्वारा समय-समय पर दिये जावें।अपण् अकादमी कार्यालय की सम्पूर्ण व्यवस्था, देखरेख एवं नियंत्रण तथा दैनिक कार्यों को सुचारू रूप से संपादित करने, करवाने के लिए उत्तरदायी होना।

9. अकादमी की प्राधिकृतियां:ंण् सामान्य सभाइण् कार्यसमितिबण् स्थाई समितियां और तदर्थ समितियां, जिन्हें सामान्य सभा या कार्यसमिति कोई विशिष्ट या सामान्य कार्य करने के लिए समय-समय पर गठित करे।ं.

 

सामान्य सभा:

1. अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, कोषाध्यक्ष और सचिव इनके पदेन सदस्य होंगे।

2. सरकार द्वारा नाम निर्दिष्ट साहित्य के तीन व्यक्ति ।

3. राज्य के प्रत्येक विश्वविद्यालय की शैक्षणिक परिषद् द्वारा मनोनित एक-एक प्रतिनिधि।

4. राजस्थान माध्यमिक शिक्षा मंडल, राज्य के प्राथमिक व माध्यमिक शिक्षा निदेशालय व राजस्थान प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान, केन्द्रीय साहित्य अकादमी द्वारा मनोनीत एक-एक प्रतिनिधि।5. राजस्थान उर्दू अकादमी की साधारण परिषद्, राजस्थान सिंधी अकादमी की जनरल कौंसिल, राजस्थान संस्कृत अकादमी की महासमिति तथा राजस्थान साहित्य अकादमी की सरस्वती सभा द्वारा मनोनीत एक-एक प्रतिनिधि।

6. राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति क्षेत्र में राज्य सरकार द्वारा मनोनीत 7 व्यक्ति।

7. राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के 5 सदस्य जो अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, कोषाध्यक्ष, सचिव तथा राज्य सरकार द्वारा मनोनीत व्यक्तियों द्वारा चुने जावेंगे। 

8. शिक्षा सचिव, वित्त सचिव या उनके द्वारा मनोनित एक-एक व्यक्ति।इ. (कार्यसमिति)1. सामान्य सभा का कार्यकाल तीन वर्ष का होगा। सामान्य सभा के सभी सदस्यों का कार्यकाल भी वह होगा जो उस सामान्य सभा का है, जिसके लिए वे चुने गये हैं। परन्तु कोई भी व्यक्ति लगातार दो कालावधियों से अधिक सामान्य सभा या उसकी प्राधिकृतियों का सदस्य ही रहेगा। उन्य स्थितियों में कार्यरत सामान्य सभा नवगठित सामान्य सभा आने तक कार्य करती रहेगी।2. किसी भी कारण से सरकार द्वारा मनोनीत सदस्य का स्थान रिक्त हो जाने पर सरकार द्वारा तथा अन्य स्थितियों में सामान्य सभा द्वारा शेष अवधि के लिए उस स्थान की पूर्ति की जा सकेगी।

10. सामान्य सभा की शक्तियां एव ंदायित्व:ंण् अनुच्छेद 12 के क्रम में 5 के अनुसार कार्यसमिति के सात सदस्यों का चुनाव करना और कार्यविधि के नियम विहित करना। इण् कार्यसमिति द्वारा प्रस्तुत किये गये अकादमी के वार्षिक बजट पर विचार करना और यथोचित स्वीकृति देना।बण् लेखा संपरीक्षक नियुक्त करना।कण् कार्यसमिति की संस्तुति पर लब्धप्रतिष्ठ लेखकों, समीक्षकों, साहित्य इतिहास लेखकों का मनीषी के रूप में चयन करना। यह चयन उपस्थिति सदस्यों के 3/4 के बहुमत से होगा। सामान्य सभा अपनी कालावधि में एक महानुभाव को मनीषी की उपाधि से समादृत कर सकेगी। मण् अकादमी की सामान्य सभा एतदर्थ आवेदन प्राप्त होने पर एतदर्थ बनाये गये मानदण्डों के अनुसार संस्थाओं को अकादमी से सम्बद्ध कर सकेगी। यदि सामान्य सभा की बिना स्वीकृति के कार्यसमिति द्वारा संबद्ध संस्था की मान्यता समाप्त की जाती है, तो सामान्य सभा की आने वाली प्रथम बैठक में इसकी पुष्टि आवश्यक होगी। इस संबंध में अंतिम निर्णय सामान्य सभा का होगा।ण् िविनिमय, उप-विधि और व्यवहार नियम बनाना।हण् कोषाध्यक्ष की नियुक्ति करना और उपाध्यक्ष का चुनाव करना, औरीण् ऐसे अन्य समस्त कार्य करना, जो संगठन की सुचारुता और अकादमी के कार्यों की समुचित पालना के लिए आवश्यक हों।

11. सामान्य सभा की बैठक:सामान्य सभा की बैठक वर्ष में कम से कम एक बार होगी परन्तु सामान्य सभा के सदस्यों की कुल संख्या के कम से कम 2/3 सदस्यों के आवेदन पर भी एकसी बैठक बुलाना आवश्यक होगा, लेकिन ऐसी बैठक में उन्हीं विषयों पर विचार हो सकेगा, जिनके लिए बैठक बुलाने की मांग की गई है।

12. कार्यसमिति:कार्यसमिति अकादमी की कार्यकारी निकाय होगी और उसमें निम्नलिखित सदस्य होंगे:ंण् अध्यक्ष - पदेनइण् कोषाध्यक्ष - पदेनबण् सचिव - पदेनकण् खण्ड 9 (क) (2) के अधीन सरकार द्वारा नाम निर्दिष्ट तीन व्यक्तियों में से अध्यक्ष द्वारा मनोनीत कोई एक व्यक्ति।मण् सामान्य सभा के सदस्यों में से चुने गये सात व्यक्ति।

13. कार्यसमिति की शक्तियां एवं दायित्व:ंण् सामान्य सभा के प्रति उत्तरदायी रहते हुए अकादमी के समस्त कार्यों का संचालन करना।इण् अकादमी के कार्यलय के कार्यों का पर्यवेक्षण तथा नियंत्रण करना।बण् सामान्य सभा में प्रसतुत किये जाने के लिए अकादमी का वार्षिक बजट, वार्षिक कार्यक्रम तथा वार्षिक लेखा-जोखा स्वीकृत करना।कण् सामान्य सभा के विचारार्थ संविधान संशोधन तैयार करना।मण् अकादमी के प्रयोजनों की पूर्ति में नियम और विनियम सामान्य सभा की स्वीकृति के लिए तैयार करना।ण् िअकादमी की समितियों द्वारा प्रस्तुत संस्तुतियों पर विचार करना तथा आवश्यक स्वीकृतियां देना।हण् राष्ट्रीय एवं अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलनों, संगठनों, आयोजनों अथवा अन्य किसी प्रकार के कार्य के लिए अकादमी की ओर से प्रतिनिधित्व करने के लिए व्यक्ति या व्यक्तियों का नाम निर्दिष्ट करना।ीण् ऐसे अन्य कार्य करना जो सामान्य निर्देशित करे।

14. बैठक सूचना: सामान्य सभा की बैठक स्पष्टतः

15 दिन पूर्व, कार्यसमिति की बैठक सूचना स्पष्टतः 10 दिन पूर्व तथा अन्य प्राधिकृतियों/समितियों की बैठकें 10 दिन पूर्व सूचना प्रसारित कर आहूत की जा सकेंगी।

15. गणपूर्ति (कोरम)ंण् अकादमी की सामान्य सभा और अन्य समितियों की गणपूर्ति (कोरम) कुल संख्या का 1/3 होगी।इण् कार्यसमिति की गणपूर्ति (कोरम) कुल सदस्य संख्या की 1/2 होगी। बण् स्थगित बैठक दूसरे दिन उसी स्थान, समय तथा एजेण्डा पर होगी, जिसमें गणपूर्ति की आवश्यकता नहीं रहेगी।

16. अकादमी की निधियां:ंण् अकादमी एक निधि स्थापित करेगी, जिसका नाम राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी निधि होगा। इसके आय के स्रोत निम्नलिखित रहेंगे:पण् राज्य से अनुदान।पपण् ऋण के रूप में प्राप्त समस्त धनराशियां।पपपण् पुस्तक बिक्री, पत्रिका शुल्क, चंदा, अंशदान, उपहार, विज्ञापन, ब्याज, जुर्माना आदि के रूप में किसी भी माध्यम से प्राप्त समस्त राशियां। इण् अकादमी की समस्त निधि किसी अनुसूचित बैंक में रहेगी और उसका प्रवर्तन कार्यसमिति द्वारा निर्धारित वित्तीय सीमा के अधीन रहते हुए सचिव, कोषाध्यक्ष अथवा अध्यक्ष द्वारा नियुक्त कार्यकारिणी के किसी सदस्य में से किन्हीं दो द्वारा किया जायेगा।

17. राजकीय अपेक्षा:ंण् राजस्थान सरकार संविधान में उल्लिखित किसी साहित्यिक कार्य के पूरे किये जाने के संबंध में अकादमी से अपेक्षा कर सकेगी।इण् राजस्थान सरकार अपने द्वारा अकादमी में नाम निर्दिष्ट व्यक्तियों की नियुक्ति किसी भी समय समाप्त कर सकेगी।

18. अकादमी की कार्यसमिति व सामान्य सभा का अंतिष्ठान:ंण् यह किसी भी समय राज्य सरकार का उन कारणों से, जो लेखाबद्ध किये जावेंगे, समाधान हो जावे कि अकादमी कार्य करने में अक्षम है, या इस संविधान द्वारा या इसके अधीन आरोपित कर्तव्यों के पालन करने में बार-बार चूक करती है या इसके अधीन दी गई शक्तियों से अधिक शक्ति का प्रयोग किया है या दूरुपयोग किया है, तो राज्य सरकार उसे कम से कम एक माह का कारण बताओ नोटिस देने के पश्चात् ऐसी अवधि के लिए, जो एक वर्ष से अधिक नहीं होगी, राजपत्र में जारी की गई अधिसूचना द्वारा अंतिष्ठित कर सकेगी, और अकादमी के कार्यों के क्रियान्वयन तथा अनुपालना के लिए प्रशासक नियुक्त कर सकेगी, तथाइण् विशिष्ठ परिस्थितियों में राज्य सरकार बिना उपर्युक्त प्रक्रिया अपनाये भी अकादमी को अतिष्ठित कर सकेगी।बण् ऐसी अतिष्ठान पर अकादमी अपने समस्त अधिकार, प्राधिकृतियों और समितियों सहित विघटित हो जावेगी तथा अधिसूचना की दिनांक से अपने पद स्वतः रिक्त हो जायेंगे।

19. अनुशासन: ंण् अकादमी की प्रतिष्ठा, सम्पत्ति व हितों के विपरीत कार्य करने वाले सदस्य के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही कर उसे सदस्यता के अयोग्य घोषित करने का अधिकार सामान्य सभा को होगा।

20. प्रस्ताव: कोई भी सदस्य अपने से संबंधित अधिकृति में कोई प्रस्ताव प्रस्तुत करना चाहे तो विधिवत प्रस्ताव कार्यालय को भेजेगा। कार्यालय, प्रस्तावों को अधिकृति के लिए आगामी बैठक में प्रस्तुत करेगा।

21. पुनरावलोकन: सामान्य सभा या कार्यसमिति अपने किसी भी निश्चिय को यदि वह उसे अकादमी की नीति व सिद्धांतों के प्रतिकूल मानती है और व्यापक हित में उसके पुनरावलोकन एवं पुनर्निरीक्षण की आवश्यकता समझती है, तो ऐसा कर सकती है।

22. सेवानियम: अकादमी कार्यसमिति अपने कर्मचारियों और अधिकारियों की सेवा संबंधी शर्तों को निर्धारित करते हुए तत्संबंधी सेवा नियम और विनियम बनायेगी, जो राज्य सरकार से अनुमोदित होंगे।

23. संविधान:ंण् सामान्य सभा संविधान संशोधन हेतु अपने कुल सदस्य संख्या के 3/4 सदस्यों के बहुमत से संकल्प द्वारा इस संविधान में प्रस्तावित संशोधन करने का निर्णय राजस्थान सरकार के पास अनुमोदनार्थ भेजेगी।इण् राज्य सरकार भी अकादमी के संविधान में संशोधन कर सकेगी और उसकी प्रभावी तिथि की घोषणा भी आदेश में करेगी।

24. विशेष:ंण् उपर्युक्त संविधान के अनुसार सामान्य सभा तथा कार्यसमिति गठित होने से पूर्व अध्यक्ष की नियुक्ति राज्य सरकार करेगी तथा इसका कार्यकाल एक वर्ष का होगा।इण् एक वर्ष की अवधि समाप्त हो जाने के पश्चात् भी इस धारा के अंतर्गत नियुक्त अध्यक्ष, नये अध्यक्ष के कार्यभार संभालने तक अध्यक्ष का कार्य संभाले रहेगा।बण् अंतरित काल के लिए नियुक्त अध्यक्ष, अकादमी का कार्य चलाने के लिए अन्तरकालीन नियुक्तियां व अन्तरकालीन अन्य व्यवस्था करने के लिए संपूर्णतः अधिकारी होगा।